किस प्रकार के उपायों से इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज किया जा सकता है
- Menwellnessclinic
- Mar 9, 2023
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यौन-स्वास्थ्य के अनुसार इरेक्टाइल डिसफंक्शन यौन-संबंधी एक ऐसा रोग है जिसकी वजह से व्यक्ति के लिंग में तनाव और कठोरता का पूर्णतया अभाव हो जाता है और वह सहवास नहीं कर पाता है, ऐसा वीर्य की कमी अथवा शरीर में वीर्य के खत्म हो जाने की वजह से होता है और जिसको यह रोग हो जाता है उसकी जिन्दगी अत्यन्त ही दूभर हो जाती है.
यौन-क्रियाओं में आनंददायक स्थिति अथवा यों कहें कि चरम-सुख की प्राप्ति हेतु पति-पत्नी का लैंगिक रूप से पूर्णरूपेण स्वस्थ होना नितान्त आवश्यक है और इस परिपेक्ष्य में पुरुष की भूमिका का अत्यन्त ही महत्वपूर्ण स्थान है. कहने का तात्पर्य यह है कि शारीरिक और मानसिक रूप के साथ-ही-साथ भावनात्मक रूप से भी पुरुष का पूर्णरूपेण स्वस्थ होना परम आवश्यक है.
अनुचित जीवन-शैली, अनावश्यक भाग-दौड़, कार्य-स्थल पर काम के बोझ का प्रभाव, अनुचित आहार-व्यवहार, धमनियों में रक्त-प्रवाह की कमी, हृदय रोग, अनावश्यक चिन्ता, मधुमेह, अवसाद और उच्च रक्त-चाप जैसी बीमारियां भी व्यक्ति को इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसे गम्भीर यौन-रोग की चपेट मे ले लेती है.
हालांकि, व्यक्ति अपनी जीवन-शैली में अनुकूल बदलाव कर इस रोग से निजात पा सकता है परन्तु इसके लिए उसे स्वयं के अन्दर पल रही हीन-भावनाओं से ऊपर उठकर अपने जीवन में आमूल परिवर्तन लाने की नितान्त आवश्यकता है.
व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी दिनचर्या में नियमित रूप से व्यायाम, संतुलित और पौष्टिक आहार को प्राथमिकता दे. शराब, सिगरेट, ड्रग्स, प्रतिबंधित दवाओं के सेवन और किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों से स्वयं को दूर रखे तथा इसके साथ ही तनाव और अनावश्यक चिंता से भी स्वयं को मुक्त रखने का निरन्तर प्रयास करे. अगर व्यक्ति ऐसा करता है तो बहुत हद तक सम्भव है कि वह इस रोग से मुक्त हो सकता है.
यौन-रोगों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन पुरुषों में होनेवाला एक अत्यन्त ही महत्वपूर्ण रोग है जो व्यक्ति को अन्दर-ही-अन्दर खोखला कर देता है और इस वजह से उसकी जिन्दगी नीरस हो जाती है.
वैसे तो बढ़ती हुई उम्र के साथ इस रोग का खतरा तो अनायास ही बढ़ जाता है क्योंकि जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है उसके लिंग में तनाव और कठोरता का पूर्णतया अभाव होने लगता है और व्यक्ति को अपनी पूर्व की स्थिति को प्राप्त कर पाना अत्यन्त ही कठिन हो जाता है तथा परिणाम यह होता है कि व्यक्ति अवसादग्रस्त हो जाता है और जिन्दगी तल्ख हो जाती है.
आज-कल की भाग-दौड़ भरी जिन्दगी में काम-काज के बोझ तले दबकर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य की दशा से बेखबर हो जाता है और बात जब उसके अपने यौन-स्वास्थ्य की आती है तो अज्ञात सामाजिक भय और सहज संकोच की वजह से वह चुप रह जाता है और इसका दुष्परिणाम यह होता है कि वह गुप्त-रोगों से सम्बन्धित अन्य कई प्रकार की बीमारियों से अनावश्यक रूप से ग्रस्त होकर स्वयं को पराजित योद्धा की भांति महसूस करता हुआ आत्मग्लानि का शिकार होकर अनावश्यक चिन्ता करने की वजह से अवसादग्रस्त होकर अपनी जिन्दगी को जंजाल बना बैठता है.
अवसाद, चिन्ता और तनाव इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से उत्पन्न डिप्रेशन का परिणाम भी हो सकता है. अवसाद से ग्रस्त पुरुषों की समुचित रूप से सम्पूर्ण चिकित्सा होनी चाहिए और इतना ही नहीं बल्कि उनका मनोवैज्ञानिक परीक्षण भी होना चाहिए क्योंकि अवसाद, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और हृदय रोग के बीच एक अप्रत्यक्ष सम्बन्ध भी है. यह भी सम्भव है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन अवसाद से उबरने के लिए एंटी डिप्रेशन के इलाज हेतु ली जानेवाली दवाइयों के दुष्परिणाम की वजह से भी हो. ऐसे में लैंगिक तनाव प्राप्त करना कठिन हो जाता है और लिंग उतना दृढ़ नहीं हो पाता है जितना कि इस बीमारी की चपेट में आने के पूर्व सामान्य रूप से हुआ करता था.
एक सामान्य-सी बात यह भी है कि अनावश्यक तनावपूर्ण जीवन होना इसकी बहुत ही प्रमुख वजह है और इतना ही नहीं, बारम्बार हो रही कुछ बीमारियों की वजह से स्वास्थ्य का खराब रहना भी इस रोग की प्रमुख वजहों में से एक है.
इसलिए भी यह अत्यन्त आवश्यक है कि व्यक्ति अनावश्यक तनाव और चिंता से स्वयं को मुक्त रखते हुए एक स्वस्थ जीवन जीने हेतु कृतसंकल्पित होने का भरसक प्रयत्न करने की भरपूर कोशिश करे और अपने पार्टनर के साथ यौन-सुख प्राप्त कर सके.
शरीर में लैंगिक रूप से यौन उत्तेजना नहीं होने पर लिंग नरम होकर टेंढी-मेंढी स्थिति में सिकुड़ जाता है और इतना ही नहीं बल्कि ऋतु-परिवर्तन के समय में होने वाली तनाव की प्रक्रिया में लिंग का आकार-प्रकार भी बदल जाता है जिससे लिंग के योनि में प्रवेश करने की स्थिति में लिंग की धमनियों में जो सख्ती होनी चाहिए जो अनुकूल रक्त-प्रवाह होना चाहिए, वह सम्भव नहीं हो पाता है जिससे लिंग में रक्त के प्रवाह को बाधा पहुंचती है और व्यक्ति लिंग की कठोरता के अभाव में सहवास नहीं कर पाता है जिसकी वजह से वह किंकर्तव्यविमूढ़ होकर अवसादग्रस्त हो जाता है.
जैसे ही कोई व्यक्ति अपने इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से सम्बंधित स्वास्थ्य के बारे में चिंतित होना शुरू करता है तो बगैर समय नष्ट किए उसे अपनी समस्याओं से निजात पाने के लिए किसी कुशल यौन-रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क साधने का प्रयास करना चाहिए ताकि समय रहते उसका उचित इलाज सम्भव हो सके. इरेक्टाइल डिसफंक्शन का उचित समय पर इलाज करवाना अत्यन्त आवश्यक है और उचित समय पर इलाज करवाने से आपके यौन-स्वास्थ्य में अनुकूल सुधार की सम्भावना भी काफी प्रबल हो जाती है.
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या आमतौर पर तभी सम्भव होती है जब व्यक्ति अक्सर अनचाहे तनाव में होता है, अतिशय व्यस्त होता है या सेक्स के मूड में नहीं होता है परन्तु ऐसी परिस्थिति में भी अगर कोई व्यक्ति फोरप्ले या इंटरकोर्स के दौरान अनवरत संघर्ष करता है, बावजूद इसके, उसके लिंग में अनुकूल कठोरता उत्पन्न नहीं होती है तो उसे अविलंब किसी कुशल यौन-रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करना नितान्त आवश्यक हो जाता है.
हालांकि, धूम्रपान का त्याग, संयमित दिनचर्या, संतुलित व स्वस्थ आहार-व्यवहार, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सक्रियता, प्रतिदिन नियमित योग और व्यायाम, गम्भीर रोगों पर नियन्त्रण हेतु प्रतिबद्धता, सुखद नींद की प्राप्ति हेतु उपायों को अपनी दिनचर्या में शामिल कर हम प्रारम्भिक रूप से इस बीमारी से निजात पा सकते हैं परन्तु इसकी गम्भीरता की वजह से इसके लिए एक कुशल यौन-रोग विशेषज्ञ से सलाह व परामर्श लेना नितान्त आवश्यक है, जिसकी सलाह आपको एक बार फिर से आपकी जिन्दगी को नए रस से सराबोर कर उसे खुशनुमा बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगी और आप पुनः अपनी जिन्दगी में यौन-सुख का परम आनन्द प्राप्त कर पाएंगे.
हालांकि, बढ़ती हुई उम्र के साथ ऐसा होना तो एक सहज प्रक्रिया है परन्तु ऐसी अवस्था में अनावश्यक विस्तार हो तो व्यक्ति को सचेत हो जाना चाहिए और यथासम्भव इसके उपचार की दिशा में प्रवृत्त होकर किसी कुशल यौन-रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क कर निःसंकोच होकर उनसे अपनी समस्याओं पर बात करनी चाहिए क्योंकि उनका सही परामर्श और मार्गदर्शन आपकी जिन्दगी के लिए नितान्त आवश्यक है. ताकि आपके यौन-स्वास्थ्य में सुधार सम्भव हो और आप खुलकर यौन-सुख के चरम आनन्द को प्राप्त कर सकें.
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से निजात पाने के लिए उचित समय पर उससे सम्बन्धित संकेतों और लक्षणों को अविलंब जांचने और परखने की नितान्त आवश्यकता है क्योंकि इस बात की संभावना ज्यादा बलवती रहती है कि व्यक्ति में इस रोग से सम्बन्धित कितने प्रकार लक्षण मौजूद हैं, जैसे :- पर्याप्त समय तक के लिए लिंग में तनाव बनाए रखने में उसे किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, कहीं आत्म-सम्मान की कमी की वजह से तो ऐसा नहीं हो रहा है, कहीं कम सहवास करने की वजह से तो ऐसा नहीं हो रहा है, कहीं शर्मिंदगी या अपराधबोध की भावना की वजह से तो ऐसा नहीं हो रहा है.
ऐसी अवस्था में व्यक्ति को चाहिए कि वह अज्ञात सामाजिक भय और सहज संकोच को त्यागकर किसी कुशल यौन-रोग विशेषज्ञ से सम्बन्धित समस्याओं को लेकर निःसंकोच होकर खुलकर बात करे ताकि उनके परामर्श और उनकी चिकित्सा से व्यक्ति अपनी समस्याओं से निजात पा सके.
किसी भी प्रकार का स्ट्रोक, मधुमेह और अन्य बीमारियों की वजह से लिंग के आवेगों को संचारित करनेवाली नसें बहुत ही बुरी तरह प्रभावित हो जाती हैं और इस वजह से भी व्यक्ति इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी गम्भीर बीमारी की गिरफ्त में आ जाता है.
इसके लिए यह नितान्त आवश्यक है कि आप किसी कुशल यौन-रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करें ताकि वह आपका शारीरिक परीक्षण कर आपकी बीमारियों के मूल लक्षणों का पता लगा सके और इस दिशा में आपकी भरपूर मदद कर सके. जैसे कि यदि आपका लिंग उम्मीद के मुताबिक संवेदनशील जगहों से स्पर्श होने पर कोई प्रतिक्रिया करता है या नहीं, अगर ऐसा है तो इस बात की संभावना ज्यादा है कि आप तंत्रिका सम्बन्धी किसी गम्भीर समस्या से ग्रसित हों तो ऐसे में वह आपके इस रोग से सम्बन्धित दिशा में आपका उचित उपचार कर सकता है और ऐसा तभी सम्भव है जब आप अपनी यौन-समस्याओं के सम्बन्ध में उनसे निःसंकोच होकर बात कर सकेंगे.
इसलिए एक कुशल यौन-रोग विशेषज्ञ इन सभी बिन्दुओं का बड़ी ही सूक्ष्मता और बारीकी से विश्लेषण कर आपकी बीमारी से सम्बन्धित समस्याओं का भली-भांति अध्ययन कर आपका उचित मार्गदर्शन करता है जिससे आप अप्रत्याशित रूप से अपने यौन-स्वास्थ्य में अनुकूल सुधार प्राप्त कर सकते हैं.
एक कुशल यौन-रोग विशेषज्ञ इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से पीड़ित रोगी का इलाज मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से जुड़कर करता है. जैसे :- यदि किसी पुरुष का शारीरिक परीक्षण और रक्त परीक्षण सामान्य है तो आमतौर पर उसे अच्छी स्थिति में माना जाएगा, बावजूद इसके कि वह इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का शिकार हो तो सेक्स-थेरेपी से उसके इस दोष से उसको निजात दिलाने में सफलता पाई जा सकती है.
एक कुशल यौन-रोग विशेषज्ञ अपने रोगी से उसकी जीवन-शैली और उसके चिकित्सकीय इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त कर उसकी वस्तु-स्थिति को भली-भांति समझने का प्रयास करता है ताकि वह उसका उचित मार्गदर्शन कर सके, इसलिए अपने चिकित्सक से अपने सारे गुण-दोषों को निःसंकोच होकर साझा करें. उनसे अपने नशीली दवाओं के उपयोग, धूम्रपान, शराब के सेवन आदि से सम्बंधित मुद्दों पर खुलकर बात करें क्योंकि अपने चिकित्सक के साथ ईमानदारी से संवाद करना काफी हद तक फायदेमंद ही होता है, ताकि वह आपके उपचार के लिए सर्वोत्तम तरीके से उचित दिशा में आपका मार्गदर्शन कर सके और आप स्वस्थ हो सकें.
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