क्या नंगे सोने से सेक्सुअल स्वास्थ्य में सुधार होता है?
- Menwellnessclinic
- Mar 27, 2023
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हमारी सृष्टि में जब भी किसी जीव का जन्म होता है तो वह इस धरा-धाम पर नग्नावस्था में ही जन्म लेता है. पशु-पक्षी तो जीवनपर्यंत इस पृथ्वी पर अपने प्रकृत रूप में ही रहते हैं परन्तु मनुष्य चूंकि एक सामाजिक प्राणी होता है और इसके साथ ही वह विद्या, बुद्धि व विवेक से सम्पन्न प्राणी भी होता है और सबसे बड़ी बात तो यह भी है कि वह एक ऐसे सभ्य समाज में रहता है जहां रहने के लिए कुछ मूलभूत सिद्धांतों का पालन करना उसके लिए अनिवार्य होता है इसलिए उसका रहन-सहन, उसकी वेश-भूषा, उसका खान-पान आदि सब-कुछ उसकी सभ्यता और संस्कृति के नियमों व परंपराओं पर निर्भर होता है.
हालांकि जब-तक मानवीय सभ्यता का विकास नहीं हुआ था तब-तक मनुष्य भी आदिकालीन सभ्यता के अन्तर्गत आदिम युग में अपने प्रकृत रूप में ही रहता था लेकिन जैसे-जैसे उसकी सभ्यता और संस्कृति विकसित हुई वह पेड़-पौधे की छाल से स्वयं के शरीर को ढंकने लगा जो विकास के क्रम में वस्त्रों में तब्दील हो गया और तब से लेकर अब तक मनुष्य वस्त्रों से स्वयं के शरीर को ढंकता और संवारता आया है क्योंकि एक सभ्य समाज में कोई भी मनुष्य किसी भी स्थिति में निर्वस्त्र नहीं रह सकता.
दिन भर के कार्यों का निष्पादन करने के पश्चात जब मनुष्य अपने घरों को लौटता है तो वह हल्के-फुल्के वस्त्रों को धारण कर लेता है और ऐसा करते ही उसे अपनी थकान में कमी महसूस होने लगती है और उसे पूरी तरह आराम की प्राप्ति भी होने लगती है परन्तु मनुष्य कभी भी इस बात की ओर सोंच ही नहीं पाता है कि जब उसने हल्के-फुल्के वस्त्रों को धारण किया तो उसे इतना आराम मिलने लगा और अगर कहीं वह पूरी तरह निर्वस्त्र हो जाए तो उसे कैसी अनुभूति होगी!लेकिन यह एक आश्चर्यजनक और ध्रुव सत्य है कि अगर मनुष्य सोने के क्रम में पूरी तरह अपने-आपको निर्वस्त्र रखता है तो उसका शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य बहुत ही बेहतरीन स्थिति में रहता है तथा साथ ही उसका सेक्सुअल स्वास्थ्य भी सदैव ही बेहतर स्थिति में रहता है.
आजकल की भाग दौड़ भरी जिन्दगी में दिन भर की थकान के पश्चात जब मनुष्य अपने घर में आता है तो भोजनादि के पश्चात वह एक सुकून की नींद सोना चाहता है और ऐसे में जब वह नग्नावस्था में सोता है तो ऐसी स्थिति में उसके शरीर का तापमान धीरे-धीरे कम होने लगता है और मनुष्य गहरी निंद्रा की आगोश में समा जाता है.
* नग्नावस्था में सोने से तनावमुक्त नींद की प्राप्ति होती है.
आजकल की भाग दौड़-भरी जिन्दगी में मनुष्य के जीवन की दिनचर्या बहुत ही व्यस्त हो चुकी है जिसके कारण उसकी जीवन-शैली भी बहुत ही असंयमित और असंतुलित हो चुकी है जिसके परिणामस्वरूप मनुष्य विभिन्न प्रकार की शारीरिक व मानसिक व्याधियों की गिरफ्त में आ जाता है.
दिन-भर की थकान की वजह से उसे व्यर्थ के तनाव का सामना करना पड़ जाता है, वह अनिद्रा का भी शिकार हो जाता है और इन सब परिस्थितियों की वजह से उसके यौन-जीवन पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा उसके जीवन में यौन-सुख से वंचित होने की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है.
चूंकि नींद और तनाव का आपस में बहुत ही गहरा सम्बन्ध होता है इसलिए मनुष्य जब-तक तनाव से रहित नहीं हो जाता है तब-तक उसे सुकून भरी नींद की प्राप्ति हो ही नहीं सकती है.
अतः ऐसी स्थिति में अगर मनुष्य नग्नावस्था में सोता है तो उसके रोम-छिद्र स्वत: ही बेहतरीन स्थिति में खुल जाते हैं, शरीर की गर्मी धीरे-धीरे अनायास ही अपेक्षाकृत कम होने लगती है जिसका परिणाम यह होता है कि मनुष्य मानसिक रूप से तनावमुक्त हो जाता है और उसे बहुत ही बेहतरीन नींद की प्राप्ति होती है जिसका उसके यौनांगों पर भी बहुत ही अनुकूल प्रभाव पड़ता है तथा उसे भरपूर यौन-सुख की प्राप्ति भी बड़ी ही आसानी से हो जाती है.
इसलिए तनावमुक्त और सुकून भरी नींद की प्राप्ति हेतु मनुष्य का नग्नावस्था में सोना बेहद ही लाभप्रद होता है और इसके साथ ही उसका सेक्सुअल स्वास्थ्य भी बहुत ही खुशहाल बना रहता है.
* नग्नावस्था में सोने से आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में काफी वृद्धि होती है.
नग्नावस्था में सोने से मनुष्य के आत्मविश्वास में तो काफी वृद्धि होती ही है और इसके साथ ही उसके आत्म-सम्मान की स्थिति में भी काफी सुधार होता है जिससे उसका व्यक्तित्व भी बहुत हद तक आकर्षक हो जाता है.
आकर्षक व्यक्तित्व में विपरीत लिंगी प्राणियों का यौनाकर्षण भी बहुत ही जबरदस्त होता है और इस आकर्षण की परिधि में जब स्त्री-पुरुष के बीच आपस में शारीरिक-सम्बन्ध स्थापित होता है तो उससे भरपूर यौन-सुख की प्राप्ति होती है.
शादी-शुदा दंपति अगर रात्रि में नग्नावस्था में सोते हैं तो उनके बीच अगर किसी भी प्रकार का कोई मानसिक अवरोध होता है तो वह स्वत: ही दूर हो जाता है और उनकी मौन आपसी सहमति से जब उनके बीच शारीरिक-सम्बन्ध स्थापित होता है तो उससे बहुत ही अलौकिक और अनिर्वचनीय यौन-सुख की प्राप्ति होती है जिससे मनुष्य के जीवन में उसका सेक्सुअल स्वास्थ्य प्रायः बेहतर स्थिति में ही रहता है.
* नग्नावस्था में सोने से मोटापा पर नियन्त्रण पाने में काफी आसानी होती है.
मनुष्य की दिनचर्या जब असंयमित व असंतुलित होती है तो उसकी इस जीवन-शैली से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिससे वह व्यर्थ की चिन्ता और अनावश्यक तनाव से ग्रसित हो जाता है जिसका परिणाम यह होता है कि वह अनिद्रा का शिकार हो जाता है और पर्याप्त नींद के अभाव में उसका शरीर अनावश्यक रूप से मोटा और थुलथुला हो जाता है.
चूंकि मोटापा से शारीरिक सक्रियता बाधित होती है जिससे मनुष्य की यौन-शक्तियों पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और ऐसी स्थिति के मूल कारण में अनिद्रा की स्थिति ही जिम्मेवार होती है. अतः ऐसी स्थिति से बचने के लिए मनुष्य को नियमित रूप से रात्रि में नग्नावस्था में ही सोने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि जब मनुष्य को सुकून भरी नींद की प्राप्ति आसानी से हो पाएगी तो मोटापा की समस्या भी धीरे-धीरे अपने-आप ही समाप्त हो जाएगी जिससे मनुष्य के जीवन में सेक्सुअल स्वास्थ्य की समस्या उत्पन्न ही नहीं हो पाएगी.
पर्याप्त नींद के अभाव में अनायास ही मनुष्य का वजन बढ़ने लगता है और बढ़ता हुआ वजन मनुष्य के सेक्सुअल स्वास्थ्य को बहुत ही बुरी तरह प्रभावित करता है अतः मोटापा की समस्या से निजात पाने हेतु मनुष्य के लिए कम-से-कम आठ घंटे की सुकून भरी नींद नितान्त रूप से आवश्यक है जिससे उसका सेक्सुअल स्वास्थ्य सदैव बेहतर स्थिति में रह सके.
* नग्नावस्था में सोने से शरीर के त्वचा की कांति में बेहतर निखार उत्पन्न होता है.
मनुष्य के शारीरिक सौन्दर्य की वृद्धि में भी नींद का बहुत ही अनुपम योगदान होता है. सुकून और चैन भरी नींद की प्राप्ति से मनुष्य की त्वचा में बेहतर निखार उत्पन्न होता है तथा इससे मनुष्य का चेहरा भी अत्यन्त ही कांतिपूर्ण प्रतीत होता है.
मनुष्य के शरीर की त्वचा में कांति कायम रखने के लिए सुकून भरी सुखद नींद की प्राप्ति अनिवार्य रूप से आवश्यक है और अच्छी नींद की प्राप्ति तभी सम्भव है जब मनुष्य किसी भी प्रकार के तनाव से सर्वथा मुक्त हो.
ऐसे में चूंकि नग्नावस्था में शरीर का रोम-छिद्र पूर्णतया खुला हुआ होता है जिससे मनुष्य को सुखद अहसास की अनुभूति होती है और मनुष्य बहुत ही आसान स्थिति में सुखद निद्रा की आगोश में समा जाता है और उसे बहुत ही गहरी नींद की प्राप्ति सम्भव हो पाती है तथा इसके साथ ही उसका सेक्सुअल स्वास्थ्य भी बहुत ही बेहतरीन स्थिति में रहता है.
* नग्नावस्था में सोने से महिलाओं की प्रजनन क्षमता में भी काफी वृद्धि होती है.
महिलाओं के अंतर्वस्त्र प्रायः बहुत ही टाईट होते हैं और अपने अंतर्वस्त्रों में ही जब वह रात्रि में शयन करतीं हैं तो उनके यौन-स्वास्थ्य पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और उनकी योनि में इन्फेक्शन होने का खतरा पैदा होने की आशंका बढ़ जाती है.
परन्तु अगर महिलाएं बिना अंतर्वस्त्र के ही रात्रि में शयन करें तो शुरुआत में उन्हें बहुत ही असहजता का सामना करना पड़ सकता है अतः ऐसी स्थिति में उनके लिए हल्का-फुल्का सूती अंतर्वस्त्र एक विकल्प हो सकता है परन्तु बगैर अंतर्वस्त्र के रात्रि में शयन करने से उनके सेक्सुअल स्वास्थ्य पर बहुत ही अनुकूल प्रभाव पड़ता है तथा इसके साथ ही उनमें किसी भी प्रकार के संक्रमण की आशंका भी निर्मूल हो जाती है.
अतः महिलाओं के लिए रात्रि में बगैर अंतर्वस्त्र के ही शयन करना उनके सेक्सुअल स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काफी लाभदायक होता है.
* नग्नावस्था में एक साथ सोने से स्त्री-पुरुष के आपसी रिश्ते बहुत ही बेहतर होते हैं.
स्त्री और पुरुष का आपसी सम्बन्ध अगर पति-पत्नी का हो या फिर किसी ऐसे रिश्तों का हो जहां वह एक ही साथ रहते हों तो उन्हें चाहिए कि जब वह सोने की स्थिति में आएं तो बगैर वस्त्रों के ही सोएं क्योंकि ऐसी स्थिति में सोने से उनके सेक्सुअल लाइफ पर बहुत ही अनुकूल प्रभाव पड़ता है.
बगैर वस्त्रों के सोने से उनके रिश्तों में बेहतरीन ताजगी स्वत: ही उत्पन्न होती रहेगी क्योंकि बगैर वस्त्रों के सोने के क्रम में जब उनके बीच शारीरिक स्पर्श होगा तो इससे उनके बीच सुखद सामंजस्य की स्थिति उत्पन्न होगी और उनकी मानसिक स्थिति भी पारस्परिक रूप से बहुत ही अनुकूल होगी.
ऐसी स्थिति में उनके बीच नित नवीन प्रेम का बीज अंकुरित होता रहेगा और इसके साथ ही उनमें कभी भी एक दूसरे के प्रति अनाकर्षण का भाव भी उत्पन्न नहीं होगा.
अतः अगर स्त्री और पुरुष बगैर वस्त्रों के ही एक साथ रात्रि शयन करते हैं तो ऐसा करना उन दोनों के लिए ही आपसी प्रेम सम्बन्ध की दृष्टि से बहुत ही फायदेमंद सिद्ध होगा. इसलिए उन्हें बेझिझक होकर बगैर वस्त्रों के ही एक साथ रात्रि शयन करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उनके सेक्स लाइफ की सक्रियता काफी हद तक बढ़ जाती है जिससे उनका आपसी साहचर्य भी बहुत ही आनन्ददायक स्थिति में व्यतीत होता है.
कहने का तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में शरीर को जीवित रखने के लिए हवा, पानी और भोजन की नितान्त आवश्यकता होती है और उसका उसके जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है ठीक उसी प्रकार उसके जीवन में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सुकून भरी नींद की प्राप्ति भी उतनी ही आवश्यक होती है.
चूंकि नग्नावस्था में सोने से मनुष्य के शरीर का सम्पूर्ण रोम-छिद्र स्वत: ही खुल जाता है और वह बहुत ही बेहतरीन स्थिति में सांस ले पाता है जिससे उसे बहुत ही सुखद अहसास की अनुभूति होती है और ऐसे सुखद वातावरण में उसे सुकून से भरपूर नींद की प्राप्ति भी बड़ी ही आसानी के साथ सम्भव हो पाती है और किसी भी प्रकार का तनाव अनायास ही छू-मन्तर हो जाता है.
जैसे ही मनुष्य मानसिक रूप से तनावमुक्त होता है वैसे ही उसकी यौन-शक्तियां भी स्वत: ही बहुत बेहतरीन तरीके से जाग्रत हो जाती हैं और वह भरपूर यौन-सुख का आनन्द प्राप्त कर पाने में काफी सक्षम हो जाता है जिससे उसके सेक्सुअल स्वास्थ्य पर काफी अनुकूल प्रभाव पड़ता है तथा इसके साथ ही उसका सेक्सुअल स्वास्थ्य भी सदैव ही बेहतरीन स्थिति में रहता है.
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